Friday, April 15, 2005

आओ अब विचार करें

आओ अब विचार करें
सामने रखें दर्पण
सत्य को स्वीकार करें
गवाँ चुके काफी समय
और न गँवायें अब
उलझी हुई समस्या को
और न उलझाएँ अब
मिल जुलकर बैठें सभी
खुद पर उपकार करें
आओ अब विचार करें।
सड़ते हुए घावोँ को
कब तक ढक पाएँगे
गोलियों से कब तक अपना
दर्द हम भुलाएँगे
साहस से खोलें और
खुद से उपचार करेँ
आओ अब विचार करें।
जाति भेद वर्ग भेद
धर्म भेद त्यागेँ अब
कूप मण्डूकता की
निद्रा से जागें हम
आदमी है‚ आदमी से
आदमी सा प्यार करें
आओ अब विचार करें।
शकनु के षड्यन्त्रोँ मे
दुर्योधन व्यस्त है
बुद्धिजीवी भीष्म सारे
जाने क्यों तटस्थ हौँ
न्याय का समर्थन
अन्याय का प्रतिकार करें
आओ अब विचार करें।
भारत की वैज्ञानिक
सुपरष्किृत भाषाएँ
हतप्रभ कुपुत्रोँ की
सुनकर परिभाषाएँ
अँग्रेजी छोड़े
मातृ भाषा से प्यार करें
आओ अब विचार करें।
सारे मुखपृष्ठों पर
गुण्डों के भाषण हैँ
कुण्ठित प्रतिभावों पर
तम का अनुशासन है
तथ्यों को समझें
भ्रम का बह्ष्किार करें।।
आओ अब विचार करें।

॥ नित्यगोपाल कटारे ॥

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